स्वर्ग-नर्क
स्वर्ग-नर्क
स्वर्ग-नरक की बातें हो गई हैं पुरानी
अब ये सब बातें बन गई हैं कहानी।
माँ बाप की छाया है जन्नत यहाँ
उनके बिना है सब दोजख यहाँ।
स्वार्थ ने आज है उनको अंधा बनाया
जरुरत पूरी होने पर जिन्होंने बिसराया।
समय रहते जो न कर पाये सेवा
उन्हें न मिलेगा कभी जीवन में मेवा।
सोचते हैं बच्चे हम बड़े हो गए हैं
जिन्होंने पाला वो नासमझ हो गए हैं।
जिन्होंने उंगली पकड़ चलना सिखाया
कैसे उन्हें आज बेसहारा छोड़ आया।
व्यस्तता का बहाना है सबसे आसान
अपने बचपन में झाँको मिलेगा जवाब।
अपना सुख था उन्होंने बच्चों पर वारा
उन्हीं बच्चों ने आज माँ-बाप को बिसारा।
सब मिल जाएगा इस दुनिया में दोस्तो
उन्हें खोकर क्या फिर पा सकोगे दोस्तो।
कर्मों का फल तुम इसी जन्म में पाओगे
जो तुमने किया वो तुम्हारे बच्चे दोहराएंगे।
नरक के दर्शन फिर यहीं हो जाएंगे
चाह कर भी फिर माँ बाप न मिल पाएंगे।
सोच को थोड़ा तुम अपनी बदल डालो
स्वर्ग का सुख तुम यही पा डालो।
