रक्षाबंधन -मेरा भैया
रक्षाबंधन -मेरा भैया
भाग्यशाली हूँ मैं
मेरे सिर पर है भैया का हाथ
आज माँ पापा हैं नहीं
पर मायका है बरकरार ।
4 साल का अंतर हममें
जाने कैसे एकदम बड़ा हो गया
पापा के जाते ही वह
हमारा पापा बन गया।
कमी ना कभी महसूस होने दी
भैया भाभी ने माँ पापा की
जिंदगी सुचारु आज तक
राखी पर मायके जाने की।
बड़ा होने के कारण सदा ही
दोनों बहनों को मिला प्यार भरपूर
ना कभी उसने कहीं हमसे किसी बात पर
अपने हिस्से का भी उल्टे दे दिया जरूर ।
नहीं भूलती वे दिन जब हम दोनों को
साइकिल पर बैठा घुमा लाता था
छोटी बहन को चिढ़ाकर
करके फिर पुचकारता था ।
हम तीनों में अंतर चार-पांच साल का
पर ना कोई जलन ना कोई ईर्ष्या
बस मिला केवल सम्मान व प्यार
आज भी रिश्तों में माँ-पापा का गुमान।
भैया मेरे बचपन की यादों की डोर
अनमोल खजाना बंधा मेरे ठोर
वैसे हर किसी को प्यारा होता अपना भाई
पर मेरे भैया दुनिया में सबसे अनमोल।
रक्षाबंधन पावन पर्व
करती हूँ प्रभु से यही प्रार्थना
चिरंजीवी हो भैया मेरा
चेहरे पर रहे सदा हंसी है मंगल कामना।