नेत्र कलम
नेत्र कलम


आंँखों की कलम जब चलती है,
मन के कागज पर सब उकेर देती है,
कोई कुछ कहे या ना कहे मुख से,
सामने वाले के चरित्र को लिख देती है।
तेरी मेरी में फर्क नहीं रखती,
सच की भाषा बोल देती है,
सबसे अच्छी दोस्त मनुज की,
अन्तर्मन की सब लिख देती है।
आँखों ही आँखों का प्यार
इजहारे कलम कर देती है
आँखों की जुबां जो कहना चाहे
नेत्र कलम दिल पर लिख देती है।