Neerja Sharma

Action Others

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अवकाश (पंजाबी कविता हिंदी में)

अवकाश (पंजाबी कविता हिंदी में)

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इक दिन दा अवकाश चाँहदी हाँ,

घार दे कमांँ तो आराम चाँहदी हाँ।

सारयाँ ने सुझाया.. कम्म आड्ली रख लो ,

पर ओनू समझोणा...

 खुद करण तो भी ज्यादा ओखा पाया ।

सुनाण आले तां सुणा जाँदे हन ,

क्यों करदी हो इन्ना कम ! 

 *अवकाश* सब्द कह, क्यों जतांँदी हो एहसाण!

सवेर तो तरसी थी कुछ पलाँ लई, 

मिल जाँदे जे अवकाश दे....

मन च घूमदी लाइना नू लिखण नू

लिख लैंदी ता पा जाँदी सुकूण दा एहसास ।

शामी मिले हन कुछ पल 

चा दे कप नाल ...

एना नू ही *अवकाश* समझ 

मैं लिखण दा कित्ता परियास।

गृहस्थी दी चक्की ताँ एँवी चलदी रहणी प्रावाहा ,

कुछ पल अवकाश दे खुद ही ढूंँढणे पैणे ।

जदों भी मिल जाण ए अवकाश दे पल,

अभिव्यक्ति दे फुल खिडा देणा ।

गुस्से च बै के ना सोची होर *अवकाश* *ना मिलया*

एही सोच सोच के

उन पलाँ नूँ गवाँ न देणा।



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