विश्वास
विश्वास
सत्य अटल है! शरीर साधन l
“मेरी लेखनी मेरी पंक्तियाँ”
हो जिस्म जवान और तेज कदम I
मजबूत कंधे चौड़ी छाती I I
आवाज बुलंद आजाद हैं हम I
क्यूँ लुटने दें मानव जाती I I
वह गोली जहां से आती है I
जिस जान को ले कर जाती है I I
थी बहिन मेरी मेरा भाई I
हाँ कैसी अंधियारी छायी I I
बिन मौत मरा आवाज नहीं I
नहीं यह उसका स्वराज्य नहीं I I
धिक्कार इसे खड़ी पीढ़ी युवा I
लज्जा का जिसे आँचल न छुआ I I
परदेस नहीं यह मेरा है I
वह आग लगी घर तेरा है I I
आवाज उठा पछतायेगा I
गर भेद-भाव बढ़ जायेगा I I
आतंकित हूँ इस बात से मैं I
यहाँ गृह युद्ध छिड़ जायेगा I I
खड़े वीर बने भ्रष्टाचारी I
यह काम नहीं इतना भारी I I
बस पहल की किरण दिखानी है I
फिर जनता वही पुरानी है I I
है देश वही जिसके बेटे I
सरदार, सुभाष और गाँधी थे I
फिर है लड़ाई अन्याय से I I
आवाज उठायें दिशाओं से I
नहीं लुटने देंगे मानवता I I
नहीं सहेंगे अब यह बर्बरता I
अधिकार नहीं हम छोड़ेंगे I I
चल रही विधा को मोड़ेंगेI
जो हमसे आ टकराएगा I
क़दमों में रौंदा जाएगा I I
हमको प्यारा है अपना वतन I
सह लेंगे कैसे अपना पतन I I
हो जिस्म जवान और तेज कदम I
मजबूत कंधे चौड़ी छाती I I
आवाज बुलंद आजाद हैं हम I
क्यूँ लुटने दें मानव जाती I I