मेरी हिन्दी सबकी हिन्दी
मेरी हिन्दी सबकी हिन्दी
हिन्दी प्यारी लागे हिन्दी की छवि निराली है I
भाषाओँ में भाषा उत्तम हिन्दी भोली-भाली है ll
उस वतन की बोली हिन्दी जिसमें गोरे आये थे I
गुलामी और हिन्दी की सौत अपने साथ लाये थेll
हिन्दी को बचाने को सभी ने गीत गाये थे I
भूल गये आज तब प्राण तक गँवाए थे I I
आज सौत अपनी हुई हिन्दी तो परायी है I
आज का मानव तो मुझे लागे एक कसाई है I I
हिन्दी प्यारी लागे हिन्दी की छवि निराली है I
भाषाओँ में भाषा उत्तम हिन्दी भोली भाली है I I
बच्चे विद्यालय/विद्यालय को जायें वापस इसको भूल के आयें I
अंग्रेजी में बोलेंचालें अंग्रेजी को ही अपनायेंll
डिग्रीयों को ही लें तो “बी.ए”.और “बी.एस.सी” कहते हैं I
माध्यम हिन्दी हो पर शीर्षक अंग्रेजी के रहते हैंll
कैसा यह विकास कैसा आत्म निर्भर है यह देश I
गुरुओं ने ही शिक्षा का बदल दिया पूरा भेष I I
हिन्दी प्यारी लागे हिन्दी की छवि निराली है I
भाषाओँ में भाषा उत्तम हिन्दी भोली भली है I I
