सत्य अटल है! शरीर साधनl सीरीज
सत्य अटल है! शरीर साधनl सीरीज
“मेरी लेखनी मेरी पंक्तियां”
दुष्टता व अन्याय का विरोध व समाज में शान्ति व सुख के लिये भारत के वीरों ने अनेक संघर्ष किये व जगत को धर्म का संदेश दिया l मर्यादाओं का पालन करना भी सिखाया और पापियों व दुराचारियों का नाश करने की प्रेरणा विश्व को दी l
प्रभु को स्वयं संसार के कल्याण के लिये हस्तक्षेप करना पड़ा l
भारत की महानता शब्दों में नहीं समा सकती शब्द कम पड़ जायेंगे और भारत भूमि युगों युगों से संसार को संदेश देती रही है व देती रहेगी l
“लीलाधर की लीला”
सुनो साथियों सुनो ध्यान से I
मैं इक कथा सुनाता हूँ I I
भारत के वीरों की गाथा I
मैं फिर से दोहराता हूँ I I
उस भारत की गाथा है जो I
विश्व का गुरु कहाता है I I
उस भारत की गाथा है जो I
वेद से जाना जाता है I I
ऋषियों के आगे जब राष्ट्र का I
राजा शीश झुकाता था I
उनके ही निर्देशों पर वह I
अपना राज चलाता था I I
घर-घर में तब यज्ञ की अग्नि I
की सुगंध थी महकाती I I
सत्य के आदर्शों पर चलने I
की शिक्षा थी दी जाती I I
इसी राष्ट्र में रावण और I
दुर्योधन जैसे दुष्ट हुए I I
उनके शासन काल में जनता I
को अमानवी कष्ट हुए I I
जनता उनके अत्याचारों I
से त्राहि कर जाती थी I I
उनके कष्ट को कौन सुने I
शासक से वो घबराती थी I I
सभी सिपाही शासक के I
जनता में लूट मचाते थे I I
लूट के धन को एकत्रित कर I
जनता को तड़फाते थे I I
चहूं ओर थी बड़ी निराशा I
आशा नजर न आती थी I I
तब भारत माता की छाती I
देख-देख फट जाती थी I I
ऐसे में श्री राम और कृष्ण से I
वीर हुए बड़े बल-शाली I I
उन दोनों के नाश कि थी I
दोनों ने प्रतिज्ञा कर डाली I I
अपने घर को त्याग के वो I
जंगल दर जंगल भटक चले I I
कष्टों पर थे कष्ट बड़े I
पर अपने प्रण से नहीं हिले I I
एक समय का भोजन करके I
कितने दिवस बिताये थे I I
काँटों पर चलकर भी अपने I
जीवन में मुस्काये थे I I
गुरुओं से शिक्षा ले कर था I
वैदिक ज्ञान लिया सच्चा I I
इसी राष्ट्र के आचार्यों से I
नीति ज्ञान लिया अच्छा I I
अस्त्र शस्त्र की विद्या में I
उनका नहीं सानी पाता था I I
दूर-दूर तक ख्याति थी I
दानव उनसे घबराता था I I
जन-जन को एकत्रित कर तब I
सेना बड़ी बनाई थी I I
उस शक्ति को देख दुष्ट को I
मृत्यु निकट दिखाई दी I I
घमासान तब युद्ध हुआ था I
मुंडों पर थे मुंड कटे I I
पर दानव की सेना के भी I
झुंडों पर थे झुण्ड बड़े I I
एक ओर थे सत्य के रक्षक I
एक ओर भक्षक भरी I I
चहूं ओर सागर सी सेना I
रक्षक अस्त्र शस्त्र धारी I I
बड़े निपुण और कुशल कला में I
वे झंकार मचाते थे I I
मृत्यु को ले चले हथेली I
पर वे लड़ने आते थे I I
उनकी इक हुंकार से I
धरती अम्बर कांप गया सारा I I
उस कम्पन की सिरहन से तब I
गूँज उठा जन-गण प्यारा I I
बड़े-बड़े योद्धा उस युद्ध में I
कूद पड़े सेना लेकर I I
खूब निभाया कर्तव्य I
प्राणों की आहुति देकर I I
प्राण जाये पर वचन नहीं I
जाने पाए संसार से I I
तेज प्रभु का ऐसा था I
दुर्दांत मिटा संसार से I I
उस दुर्दांत के मिटते ही I
जीवन का नव निर्माण हुआ I I
प्रभु लीला तब देख जगत को I
धर्म का फिर से ज्ञान हुआ I I
ऐसा सुख और ऐसी शांति I
जीवन में नहीं आई थी I I
ऐसी वायु नहीं कभी भी I
धरती पर चल पाई थी I I
सभी को भोजन धरती पर तब I
शान्ति से मिल जाता था I I
भोला-पन ऐसा आया I
नहीं कोई किसी को सताता था I I
सब प्रसन्न और प्रभु की लीला I
का आनन्द उठाते थे I I
तभी तो भारत राष्ट्र के योद्धा I
वीर बड़े कहलाते थे I I