पित्रों को समर्पित
पित्रों को समर्पित
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आज हम हैं कल बनेंगे
पितृ इस संसार के
लौट कर नहीं आयेंगे
आपके व्यवहार मे
तुम भुला दोगे हमे
हमसे ही तो तुम हुये
कुछ हमे भी याद रखना
आज के व्यवहार मे
हम नहीं होंगे तो क्या
तुम हो हमारे रूप मे
अंश तुम ही तो रहोगे
छाँव मे और धूप मे
जो नहीं हैं आज उनको
याद हम कर लें जरा
उनकी यादों को समेट के
आँख मे भर लें जरा
पित्रों का आभार है
हम आज कल वे थे यहाँ
उनका ही उपकार है
कल तुम रहोगे हम वहाँ
आज हम हैं कल बनेंगे
पितृ इस संसार के
लौट कर नहीं आयेंगे
आपके व्यवहार मे।
