स्त्री होना आसान नहीं
स्त्री होना आसान नहीं
कभी स्त्री बनकर तो देखो
क्योंकि स्त्री होना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसा होकर तो देखो
क्योंकि स्त्री जैसा होना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसा जी कर तो देखो
क्योंकि स्त्री का जीवन इतना आसान नहीं
कभी स्त्री की तरह दर्द सहकर तो देखो
क्योंकि स्त्री जैसा दर्द सहना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसी हर महीने पीड़ा उठाकर के तो देखो
क्योंकि स्त्री की यह पीड़ा उठाना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसी नो महीने की परीक्षा देकर तो देखो
क्योंकि स्त्री की यह परीक्षा देना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसा पर्दे में रहकर तो देखो
क्योंकि स्त्री की तरह पर्दे मे रहना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसे अपने सपनो को दिल मे दबा कर तो देख़ो
क्योंकि स्त्री की तरह अपने सपनो को दबाना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसे संस्कारो की बेड़ियों में जी कर तो देखो
क्योंकि स्त्री की तरह इन बेड़ियों मे जीना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसा तेज़ाब का हमला सहकर तो देखो
क्योंकि स्त्री की तरह यह हमला सहना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसे पहनावे पर ताने सुन्नकर तो देखो
क्योंकि स्त्री की तरह इन तानो को सुनना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसा दो परिवारों को सम्भालकर तो देखो
क्योंकि स्त्री की तरह परिवारों को संभालना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसे अपने अरमानो को जलाकर तो देखो
क्योंकि स्त्री की तरह अपने अरमानो को जलाना इतना आसान नहीं
कभी स्त्री जैसा हवस का शिकार होकर तो देखो
क्योंकि स्त्री की तरह इस शिकार के साथ जीना इतना आसान नहीं।