जिम्मेदारियां
जिम्मेदारियां


कुछ सपने सपने बनकर रह जाते है
कुछ ख़्वाब बस ख्वाबों में ही अच्छे लगते है
जरूरी नहीं कि हर सपना सच हो
जरूरी नहीं की हर ख़्वाब हकीकत में हो
मेरे भी कुछ सपने थे
मेरे भी कुछ ख़्वाब थे
लेकिन हालात कुछ ऐसे थे
जो सपनों से बढ़कर नहीं थे
सपने देखने का हक तो हर किसी को होता है
पर सपने भी सच कुछ लोगों के ही होते है
कभी-कभी जिम्मेदारियां इतनी बढ़ जाती है
कि सपनों की ना चाहते हुए भी बलि देनी प
ड़ती है
लेकिन कहते है ना जो होता है अच्छे के लिए होता है
जिम्मेदारियां भी हमें बहुत कुछ सीखा देती है
गिरकर खुद से सम्हलना हमें यही सिखाती है
बड़े-बड़े ख़्वाब देखने का जज्बा भी हमें इनसे ही मिलता है
उनको पूरा करने की ललक भी हमें इनसे ही आती है
तभी तो हमें अपनी मंजिल आसान लगने लगती है
कब उस मंजिल तक पहुँच जाते है ये भी हमें खबर नहीं होती
क्योंकि जिम्मेदारियां ही है, जो हमें इतना सोचने का समय ही नहीं देती ।