कविताएं भी जीती हैं
कविताएं भी जीती हैं
कविताएं लिखी कहां जाती
बस बन जाती हैं
खयालों में बादलों की तरह
उमड़ घुमड़ कर बरस जाती है
वक्त गुजर जाया करते हैं
पर कविताएं जिंदा रहती हैं
ये तों आशाओं के विभिन्न रंग
जीवन में भरती हैं
सच कहूं कविताएं भी जीती हैं
जीती जागती सी यह
ह्रदय खोलकर कहती है
जी उठता है कवि
जब जब यह वाची जाती है
शब्दों के चुने मोती से
दिव्य आभा सी दमकती है
कभी खुशियों की फुलझड़ी बन
गीत तराने गाती है
शब्दों की लौ से
उजाला फैलाती है
सच कविताएं भी जीती हैं
हर रस हर छंद में
कविताएं लिखी जाती हैं
पावन गंगा के प्रीत सी
मन में देश प्रेम की भाव जगाती है
शब्द सुमन से फिज़ा महकाकर
जग में खुशबू फैलाती है
ना जाने कितने ही
लिखें पैगाम को
जन-जन से जोड़ती है
कविताएं भी जीती जागती हैं
जब धमनियों में हमारे
कई भाव दौड़ते हैं
नए-नए एहसास बनकर
दिल से कविता बन निकलते हैं
कविताएं जीवन का आभास हैं
कवि का एक मधुरम एहसास है
जो दूर तक नदी की तरह बहती है
हां कविताएं भी जीती जागती हैं
कविताएं युगो से लिखी जाती
दिलों तक दस्तक दे जाती है
भाव की बहती नदियों में
काव्य सरिता बन जाती है
कविताएं कई रंग में लिखी जाती है
वीरों का करके संस्मरण
यह जज्बाती हो जाती है
बस अनवरत बहती जाती है
कविताएं भी जीती जागती हैं।