मिज़ाज मौसम का
मिज़ाज मौसम का


मन में दबी ख्वाहिशों का
ख्वाब फिर पल रहा है
नए नए कोंपलों
के उद्भव संग
लग रहा है मौसम का
मिज़ाज बदल रहा है
तेरे आने की खनक
और इंतज़ार तेरा
मुझमें फलक रहा है
मुझे रोमांचित कर रहा है
शायद मौसम का
मिज़ाज बदल रहा है
कुछ बातों और इशारों से
तेरे आने का अक्स
झलक रहा है
रुहानी सी इस फिज़ा में
शायद मौसम का
मिजाज बदल रहा है
आंखों में जो जल रहा था
वो नए ख्वाब बनकर
फिर से उतर रहा है
मन को रोमांचित वो कर रहा है
शायद मौसम का
मिजाज बदल रहा है
रुका हुआ बहार
फिर से उभर रहा है
थमा हुआ वक्त
हवाओं संग चल रहा है
रूहानी सी इस कायनात में
शायद मौसम का
मिजाज बदल रहा है
मिट रहें हैं कदमों के
पुराने सभी निशां
शायद नए कदम
कोई रख रहा है
नई बहार नई ऋतु संग
शायद मौसम का
मिजाज बदल रहा है।