STORYMIRROR

Anjana Singh (Anju)

Abstract

4  

Anjana Singh (Anju)

Abstract

मिज़ाज मौसम का

मिज़ाज मौसम का

1 min
393


मन में दबी ख्वाहिशों का

ख्वाब फिर पल रहा है

नए नए कोंपलों

के उद्भव संग

लग रहा है मौसम का

मिज़ाज बदल रहा है


तेरे आने की खनक 

और इंतज़ार तेरा

मुझमें फलक रहा है

मुझे रोमांचित कर रहा है 

शायद मौसम का 

मिज़ाज बदल रहा है


कुछ बातों और इशारों से 

तेरे आने का अक्स

झलक रहा है

रुहानी सी इस फिज़ा में 

शायद मौसम का 

मिजाज बदल रहा है


आंखों में जो जल रहा था‌

वो नए ख्वाब बनकर

फिर से उतर रहा है

मन को रोमांचित वो कर रहा है 

शायद मौसम का 

मिजाज बदल रहा है


रुका हुआ बहार

फिर से उभर रहा है

थमा हुआ वक्त

हवाओं संग चल रहा है

रूहानी सी इस कायनात में

शायद मौसम का

 मिजाज बदल रहा है


मिट रहें हैं कदमों के

पुराने सभी निशां

शायद नए कदम

कोई रख रहा है

नई बहार नई ऋतु संग

शायद मौसम का 

मिजाज बदल रहा है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract