रंग दे पिया मोहे
रंग दे पिया मोहे


रंग दे पिया मोहे तू
अपने प्रीत के रंग में
ओढ़ फागुन की चुनरिया
होरी खेलूं मैं तेरे संग में
चहूं ओर है रंग बिखरी
नैनन करें धमाल
आ रंग में रंग दे बाह पकड़ के
मुख भर जाए गुलाल
हरी पीली रंगीली धरती
अंबर भी नीला, सुनहरा, लाल
देखो फागुन के प्रेम में
पलाश भी हुआ है लाल
गालों पर तेरे मल कर गुलाल
मिलाऊं ताल से ताल
मस्ती हंसी ठिठोली के संग
थोड़ा मैं भी कर लूं धमाल
थोड़ी सी भंग पीकर
खेलूं संग तेरे मैं होली
मस्ती में झूम जाऊं मैं
चाहे भीगे चूनर चोली
रंग दे पिया मोहे तू ऐसे रंग में
कोरी ना रह जाए चुनरिया
ऐसा प्रीत रंग चढ़ा दे तू
उतरे ना सारी उमरिया।