ऐ वक्त तेरी ही कमी है
ऐ वक्त तेरी ही कमी है
हजारों ख्वाब हैं जीवन में
छोटी सी है जिंदगी
क्या करें इंसान
बस वक्त की ही कमी है
देखूं तो वही आसमां
वहीं जमीं है
चाहे या ना चाहे इंसान
बस वक्त की कमी है
सभी चले जा रहे हैं
अपनी-अपनी राहों पर
ठहरने को वक्त कहां
बस वक्त की ही कमी है
धुंध बहुत है शहर में आज
दिखते नहीं हैं चेहरे
तकती हैं आंखें कितनी
बस वक्त की ही कमी है
लब खामोश है आंखों में सवाल है
आजकल सबके दिलों में मलाल है
इस भागती दौड़ती जिंदगी में
ऐ वक्त तेरी ही कमी है
आज हालातों में भी कमी है
रहती उससे भी दिल में नमी है
चाहकर भी हम कुछ कर ना पाते
ऐ वक्त बस तेरी ही कमी है
हर वक्त आंखों में
नमी ही नमी है
करने को है काम बहुत
मगर ऐ वक्त तेरी ही कमी है।