तुम धीमे से मुस्कुरा देना तुम धीमे से मुस्कुरा देना
रचता खेल बना कठपुतली रंगमंच पे। रचता खेल बना कठपुतली रंगमंच पे।
कभी झालर सी लटकती हूँ गलियों और चौबरों पर , कभी झालर सी लटकती हूँ गलियों और चौबरों पर ,
लब तो रहे खामोश देवताओं की तरह लब तो रहे खामोश देवताओं की तरह
नई राह इशारों में, रह रह कर मुझे महकाती, नई राह इशारों में, रह रह कर मुझे महकाती,
जानवर की भाषा इंसान समझ नहीं पाता, फिर भी उसकी भावनाओं से खेलता है, जानवर की भाषा इंसान समझ नहीं पाता, फिर भी उसकी भावनाओं से खेलता है,