किस्मत तो मौका देती है। पर मेहनत तो चौंका देती है। किस्मत तो मौका देती है। पर मेहनत तो चौंका देती है।
रचता खेल बना कठपुतली रंगमंच पे। रचता खेल बना कठपुतली रंगमंच पे।
जिस तरह नदी अपनी राह पर निरंतर बढ़ती जाती है, कवियत्री भी अपने सपनों की तरफ बढ़ रही हैं। जिस तरह नदी अपनी राह पर निरंतर बढ़ती जाती है, कवियत्री भी अपने सपनों की तरफ बढ़ रह...
रास्ते की तरह दिख रही थी ज़िन्दगी जैसे जैसे चलती गई वैसे ही राह मिलती गई। रास्ते की तरह दिख रही थी ज़िन्दगी जैसे जैसे चलती गई वैसे ही राह मिलती गई।
छोड़ कर सब श्रंगार प्रिय बन गले का हार प्रिय झांक के मेरे नैनों में जब मंद मंद मुस् छोड़ कर सब श्रंगार प्रिय बन गले का हार प्रिय झांक के मेरे नैनों में जब ...
कभी कभी मन चाहता है, फूल बनकर बाग में महकूँ, कभी कभी मन चाहता है, फूल बनकर बाग में महकूँ,