मै मनीषा सहाय सुमन, पिता कवि सुरेन्द्र नाथ सक्सेना,बचपन से ही पिता के साहित्य साधना से प्रेरित रही और उनका अनुसरण कर कुछ सार व भावयुक्त लिखने का प्रयत्न करती हूं।
समुद्र का खारा जल लहरों से हो हृदय में समा गया हो और आँसू बन बरबस बरसने लगता है। समुद्र का खारा जल लहरों से हो हृदय में समा गया हो और आँसू बन बरबस बरसने लगता है।
भयंकर एक्सिडेंट हुआ है!! तुम ठीक कहती हो गाड़ी धीरे चलाओ!! देखते- देखते पूरा परिवार एक मिनट में काल ... भयंकर एक्सिडेंट हुआ है!! तुम ठीक कहती हो गाड़ी धीरे चलाओ!! देखते- देखते पूरा परि...
यह संस्मरण तब का है, जब मैं 10 वर्ष की थी, और मेरा भाई बिट्टू 8 वर्ष का था । हमारे दा यह संस्मरण तब का है, जब मैं 10 वर्ष की थी, और मेरा भाई बिट्टू 8 वर्ष का था । हमा...
वो पहला दिन किंडर गार्डेन का वो पहला दिन किंडर गार्डेन का
ये कागज लो!! बहुत जरूरी है, इसपर पता लिखा है, किसी भी हालत में कितने भी दिन लगे, यह इस पते पर पहुँचा... ये कागज लो!! बहुत जरूरी है, इसपर पता लिखा है, किसी भी हालत में कितने भी दिन लगे,...
मुझमें जितनी भी शक्ति व साहस था... सब मैने एक लम्बी साँस भर कर झोक कर... उस जकड़न, बंधन से आजाद होने... मुझमें जितनी भी शक्ति व साहस था... सब मैने एक लम्बी साँस भर कर झोक कर... उस जकड़...
हमारा प्राचीन ज्ञान व वृक्षों की महत्ता अतुलनीय है। हमारा प्राचीन ज्ञान व वृक्षों की महत्ता अतुलनीय है।
आज भी हम एक अनोखी प्यार की डोर से बंधे हैं। आज भी हम एक अनोखी प्यार की डोर से बंधे हैं।
अतः प्रकृति रूप रचना कृत भगवान है परन्तु मनुष्य रूपी गढ़ा भगवान नहीं है। अतः प्रकृति रूप रचना कृत भगवान है परन्तु मनुष्य रूपी गढ़ा भगवान नहीं है।
तब सोनू अपनी सारी कहानी, पिता का हाथ कट गया है, माँ गंभीर बीमार है, कोई भी मदद नहीं है तब सोनू अपनी सारी कहानी, पिता का हाथ कट गया है, माँ गंभीर बीमार है, कोई भी मदद न...