मै मनीषा सहाय सुमन, पिता कवि सुरेन्द्र नाथ सक्सेना,बचपन से ही पिता के साहित्य साधना से प्रेरित रही और उनका अनुसरण कर कुछ सार व भावयुक्त लिखने का प्रयत्न करती हूं।
Share with friendsसारनाथ स्तूपवाले सिंहचिह्नो का दायित्व हुँ भारत की अर्थ व्यवस्था को देता स्थायित्व हुँ मैं संपत्तिरूपी सर्वेश्वरी संपदा परिचायक हुँ, पाने को करते जतन,पाकर भी न संतृप्त हो
ऐ दोस्त तेरे होने से, दुनिया का हर मंजर सुनहरा है, जिंदगी,कामयाबी पूरा शहर मेरा है, डरता था अक्सर दौरें जमाने से, तेरे आने से हर मौसम सुनहरा है। मनीषा