manisha suman

Romance Classics Thriller

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manisha suman

Romance Classics Thriller

पहला प्यार

पहला प्यार

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मीरा के मन में सागर की लहरें हुलेरें भर रहीं थी।

अक्सर मीरा और प्रतीक इन्हीं लहरों के किनारे आ कर बैठते और अपने जीवन की समस्याओं को एक दूसरे से साझा किया करते थे। आज भी हवा तेज चल रही थी,समुद्र अपने पूरे उफान पर था! मीरा के मन में भी समुद्र सी हलचल मची थी,वह समुंद्र की लहरों में पैर डूबा चट्टान पर बैठी मन ही मन सोच रही थी ....यह लहरें साक्षी हैं , हमारे प्यार और विश्वास की ! पर क्या समाज हमें एक होने देगा ??

तभी प्रतीक पीछे से आ चौका देता है!!

मीरा अरे ! आज तुम जल्दी आ गए ?

प्रतीक हां ! मैंने सोचा कि तुम्हें सरप्राइस देता हुँ।

मीरा कैसा सरप्राइस?? प्रतीक आज हमारे प्यार के पूरे 3 वर्ष पूरे हो चुके हैं ,और लगभग 1 वर्ष से परिवार वालों को भी यह मालूम है।

मीरा हाँ!!! पर वह राजी तो नहीं है।

प्रतीक राजी हो जाएंगे !! मीरा.कैसे ?? एक धर्म के होते हुए भी हमारी जाति!!!

प्रतीक..... छोड़ो ना ये सब बातें !! हम तो प्रेमी हैं,

और प्रेम सागर के पानी सा निर्मल और किनारे की इन चटटानो सा दृढ़ होना चाहिए।

मीरा खाली बातें करते हो ,यह सोचों घर वालों को कैसे समझाएं,ऐसे कबतक चलता रहेगा,मुझे भी घरवालों और दुनिया वालों का सामना करना पड़ता है ,यदी मैं नौकरी नही कर रही होती तो शायद अबतक मेरी शादी हो चुकी थी ??

प्रतीक...अरे यार तुम लड़कियों का बस यही है...न मौका देखती हो न समय,पूरे मूड का कबाड़ा कर दिया तुमने!

मीरा....तुमसे तो दिल की बात कहो तो ,तुम्हारे मूड का कबाड़ा हूं...मुंह घुमा कर बैठ जाती है।

प्रतीक....अरे ! माई डियर नराज. क्यों होती हो,देखो मैं बैंगलरू तुम्हारे लिये क्या लाया हूँ!!

मीरा....दिखाओं ना! पर्ल सेट लाने को कहा था ?दिखाओं ना!

प्रतीक...झट से अपना गाल आगे बढा़ देता है....न न न पहले टेक्स फिर गिफ्ट! मीरा मुस्काते लजाते प्रतीक की बाँहों में समा जाती है!!

मीरा....बहुत सुंदर पर्ल का सेट है पर हम कब तक समुद्र के किनारे यूं ही ....प्रेम प्रतिज्ञा लेते रहेगें....तुम अपने घर वालों से साफ साफ बात कर लो...

प्रतीक.....मेरे जीजा वा जीजी इसी माह को 10 तारीख को अमेरिका से आ रहे है, घर मे पार्टी है , उन्होने तुम्हें भी पार्टी मे बुलाया है।

मीरा....पार्टी!! किस बात की?? 

ये तो मुझे भी नही पता ?? शायद उनके आने की खुशी मे या फिर कुछ और!!!

मीरा.... मतलब फिर सरप्राइज !!!

आखिर मीरा का इंतजार खत्म हुआ और आज उसे बन ठन के प्रतीक के घर जाना था। वह सुबह से प्रतीक को

फोन मिलाने का प्रयास कर रही थी, पर फोन बंद आ रहा था। कभी उसका मन भयभीत हो उठता तो कभी वह सोचती की वह वयस्त होगा।

इन सभी कशमकश से गुजरती वह प्रतीक के घर पहुँच जाती है,अभी टेक्सी का बिल दे ही रही थी, की उसकी नजर सामने लगे वेलकम बोर्ड पर पड़ती है। जिस पर लिखा था....*प्रतीक इंगैजड विथ सोनिया** पढ़कर मीरा शुन्य हो गई!!!! 

टेक्सी वाले की अवाज उसकी बरसों की तंद्रा को भंग कर दिया..... खुद को सभांलती हुई कहती है..... भाईसाहब जुहूबीच ले चलो।

समुद्रं के किनारे चट्टान पर लहरों में पैर डुबा बैठ जाती है,मीरा की आंखों में मानों समुद्र का खारा जल लहरों से हो हृदय में समा गया हो और आँसू बन बरबस बरसने लगता है।


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