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Anjali Jha

Others

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Anjali Jha

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सफर जिंदगी का

सफर जिंदगी का

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ज़िन्दगी में राह अनेक मिले 

कभी एक तो कभी अनेक मिले।


रास्ते की तरह दिख रही थी ज़िन्दगी

जैसे जैसे चलती गई वैसे ही राह मिलती गई।


कभी हँसना भी पड़ा कभी खूब रोना पड़ा 

बोझ की तरह खुद को खूब ढोना पड़ा।


जिम्मेदारियो का बोझ पल पल बढ़ता रहा

बचपन जवानी के हाथ से निकलता रहा ।


बोझ ने कमर भी झुका दिया 

हाथो में लाठी भी आ गया ।


कुछ इस तरह समझा मैंने ज़िन्दगी 

कुछ मिला तो कुछ को खो दिया ।


लाखो ख्वाबों में कितने चकनाचूर किए

बचपन से बुढ़ापा तक खूब मौज किए


अब आखिरी मोड़ पर थी ज़िन्दगी 

पूरा सफर चंद मिनटों में लिख दिए


ज़िन्दगी में राह अनेक मिले थे 

कभी एक तो कभी अनेक मिले थे ।


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