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मत बनाओ तुम इस मंदिर को श्मशान मत बनने दो देश को श्मशान। मत बनाओ तुम इस मंदिर को श्मशान मत बनने दो देश को श्मशान।
कोई नहीं है यहाँ मेरा फिर क्यों घुट-घुट कर मरती हूँ। कोई नहीं है यहाँ मेरा फिर क्यों घुट-घुट कर मरती हूँ।
खूब लूटा समाज ने मुझ को फिर भी घिसट- घिसट कर उभरी हूँ। खूब लूटा समाज ने मुझ को फिर भी घिसट- घिसट कर उभरी हूँ।
रास्ते की तरह दिख रही थी ज़िन्दगी जैसे जैसे चलती गई वैसे ही राह मिलती गई। रास्ते की तरह दिख रही थी ज़िन्दगी जैसे जैसे चलती गई वैसे ही राह मिलती गई।
मुझे सिर्फ तू और तू चाहिए ये मत पूछना तू मुझे क्यों चाहिए। मुझे सिर्फ तू और तू चाहिए ये मत पूछना तू मुझे क्यों चाहिए।
देखकर मौसम हुआ कुछ अनुभव वसंत ऋतु का आ गया आगमन। देखकर मौसम हुआ कुछ अनुभव वसंत ऋतु का आ गया आगमन।
वसंत ऋतु का आगमन लाएगा जीवन में नया पावन। वसंत ऋतु का आगमन लाएगा जीवन में नया पावन।