कभी कभी
कभी कभी
कभी कभी मन चाहता है,
चलती जाऊँ नील गगन में,
कभी कभी मन चाहता है,
जी भर के गुनगुनाऊं,
कभी कभी मन चाहता है,
समुद्र की लहरों सी बहती जाऊँ,
कभी कभी मन चाहता है,
फूल बनकर बाग में महकूँ,
कभी कभी मन चाहता है,
रुकूं नहीं बस चलती जाऊँ,
कभी कभी मन चाहता है,
झुकूं नहीं बस उठती जाऊँ,
कभी कभी मन चाहता है,
बस आगे आगे बढ़ती जाऊँ
