कर्म और हिसाब
कर्म और हिसाब
इनका अच्छा होता है
देखते ही स्वभाव का पता चलता है।।
क्यों ना इंसान भी इसी तरह
हो पाते तो ये दिल भी बिखरे पाए मिलते नहीं हैं।।
फूलों का अच्छा होता है
आज है तो कल समय के मुरझा जाते हैं।।
कभी भगवान पे चढ़ाए जाते हैं
तो कभी जनाजे पे लेटे होते हैं।।
इसलिए वो अपना कर्म ख़ूब
अच्छी तरह से निभा सकते हैं।।
ईश्वर की लीला भी अपरम पार है
जो होना होता है वो आखिर होता ही हैं।।
इसलिए रिश्ता तोड़ने में नहीं बल्कि
उसे संभाल कर रखने में होशियारी हैं।।
अगर ना संभाल सको तो उसे बेशक चले जाने दो
क्योंकि तकलीफ तो हर किसी को होती हैं।।