बहिन
बहिन
जिनके यहां पर होती है, बहिन
वो लोग उत्सव मनाते है, हर दिन
तीज, राखी, होली, दीपावली, आदि
सब त्योहार अधूरे है, बहिन बिन
साखी जिनके होती है, बेटियां
वहां खुशियां होती है, अनगिनत
कद्र बहिनों की ज़रा उन्हें पूछो
सूनी होती कलाई, राखी के दिन
उन्हें रो-रोकर बहुत याद आती,
खास हमारी होती कोई बहिन
पूजा, आरती की कोई थाली हो
हर जगह शगुन डाली है, बहिन
जिनके यहां पर होती है, बहिन
वो लोग उत्सव मनाते है, हर दिन
पर आजकल बेटे की चाहत में,
बेटियां मारी जा रही है, दिनों दिन
गर यही हाल रहे, तो है, मुमकिन
कलाई सुनी रह जायेगी, एक दिन
हर त्योहार की रौनक फीकी है,
जहां पर न होती है, बेटी-बहिन
लिंग भेद न करेंगे, हम कुलीन
ले संकल्प, राखी के पवित्र दिन
अमीर-गरीब का भेद मिटाएंगे,
बांधेंगे, भेदभाव मुक्त राखी इस दिन
हिंद की बड़ी पवित्र परम्परा है
विश्व मानते परिवार सुनहरा है
हर स्त्री को माने, हमारी बहिन
इस रक्षाबंधन ले, प्रण पवित्र
हर स्त्री की हम नर रक्षा करेंगे,
हर स्त्री में देखेंगे, अपनी बहिन
मां के रूप का, चरित्र है, बहिन
हर दिन खुशियां, जहां है, बहिन।
