सदा सुनती रहूँ अपने मन की आवाज, उस आवाज को मैं एक नया आगाज बनाऊँ ! सदा सुनती रहूँ अपने मन की आवाज, उस आवाज को मैं एक नया आगाज बनाऊँ !
उम्र के इस मोड़ पर, रिश्तों की पोटली , मुझे खोखला कर गयी। उम्र के इस मोड़ पर, रिश्तों की पोटली , मुझे खोखला कर गयी।
उसका भी मन नहीं लगा और दो दिन पहले वापिस आ गयी। उसका भी मन नहीं लगा और दो दिन पहले वापिस आ गयी।
सत्कर्मों से जेब भर, यहाँ से जाना खाली। सत्कर्मों से जेब भर, यहाँ से जाना खाली।
फुदकती थी चहचहाती थी घुस जाती कभी घर में खिड़कियों से फुदकती थी चहचहाती थी घुस जाती कभी घर में खिड़कियों से
हर परेशानी में माँ बाप का सहारा बनती है क्योंकि यह बेटियाँ ही घर की रौनक होती है हर परेशानी में माँ बाप का सहारा बनती है क्योंकि यह बेटियाँ ही घर की रौनक होती...