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Ajay Singla

Abstract

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Ajay Singla

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उनकी याद

उनकी याद

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मायके गयी थी पत्नी

मन बहुत बेचैन था

दिल नहीं लगता था मेरा

मचलता दिन रैन था।


लिखने को बैठा जो उसको

मैंने लिखा ''मेरी प्रियसी ''

याद आती बहुत तेरी

दिल मेरा लगता नहीं।


अकेले खाना नहीं है भाता

भूख से भी खा न पाता

तुम थी तो था प्यार का रस

अब खाने में आ नहीं पाता।


कोई नहीं मुझे पानी पूछे

ऑफिस से मैं जब घर आऊं

तुम ही थी इस घर की रौनक

अब मैं घर को सूना पाऊं।


जिस दिन सोचा पोस्ट कर दूँ

खड़ी गेट पर दर्श दिखा गयी

उसका भी मन नहीं लगा और

दो दिन पहले वापिस आ गयी।


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