अशान्त मन
अशान्त मन
अशांत मन
राजा पूछे मंत्री से कि
कैसे हो शांत मन मेरा
मंत्री कहे, महाराज अभी एक
संत ने पास में डाला डेरा ।
कहते हैं बड़ा सिद्ध संत वो
अशांत मन को शांत कर देता
झट से अपना काम करे है
बदले में कुछ भी ना लेता ।
अगले दिन राजा पहुँच गया
दंडवत कर बोला संत से
प्रभो! ऐश्वर्य, धन की कमी नहीं
बस एक शांति ही नहीं मन में ।
महात्मा पूछें, हे राजन क्या
शांत करना चाहो इस मन को
दीन वचन से राजा कहे है
कर दें आप तो बहुत कृपा हो ।
चार बजे सुबह आ जाना
संत कहे, पर सुनो हे राजन !
पल भर में शांत करूँ परन्तु
साथ में लाना होगा अशांत मन ।
उसे शांत कर सकता तभी जब
उस समय वो साथ हो तेरे
राजा सोचे मैं आऊँगा तो
साथ तो होगा ही मन मेरे ।
अश्रद्धा मन में हो गई राजा के
बातें ना समझ में उसके आ रहीं
सोचे बहकी बहकी बातें करे
कहीं संत पाखंडी तो नहीं ।
फिर भी पहुँच गया अगले दिन
लोभ शांति का उसे ले आया
अशांत मन से दुखी बहुत था
संत पूछे, मन लाए हो क्या ?
चुपचाप खड़ा रहा राजा
संत कहे, मन तेरा है जो
मोची के पास जूते ख़रीद रहा
झट से उसे मेरे पास ले आओ ।
राजा सोचे कल रात सोया जब
जूता फटा था और मैं कह रहा
कल सुबह नए जूते ले लूँ
शायद मन अब वहीं भटक रहा ।
चरणों में गिर पड़ा संत के
संत बोले, देखो मन की गति
मोची अभी आया भी ना होगा
पर रात से चिंतन जूते का ही ।
अच्छा चलो उसे यहाँ ले आओ
पूछो इतना अशांत क्यों है
और फिर उसे मुझे दे देना
तब शांत कर दूँगा इसे मैं ।
अशांति का कारण ढूंढे तो
राजा को कुछ भी समझ ना आ रहा
जैसे जैसे समय बीत रहा
अशांत मन शांत होता जा रहा ।
राजा कहे, पकड़ में ना आ रहा
अशांति का कारण भी ना मिले
संत कहे ये भूल भुल्लैया
सकल जगत माया से चले ।
आज तुम्हें सूत्र बताऊँ
जो भी विचार कष्ट दे तुमको
ढूँढने लग जाना कारण तुम
पल में स्वयं ही वो खत्म हो ।
अँधेरे से जो डर लगे तो
ढूँढने निकल जाओ तुम उसे
बस एक दीपक साथ में ले लो
देखो उसे फिर हर कोने में ।
जहाँ दीपक की रोशनी जा रही
उस कोने में अंधकार नहीं
पहले जहाँ था घुप्प अंधेरा
अस्तित्व भी उसका अब नहीं ।
आत्मा के चक्षुओं से ढूँढो
अशांति अपने आप चली जाए
घटनाओं के साक्षी बन जाओ
वो तुम्हें फिर ना सतायें ।
ये सत्य जो जान गए तो
सूर्य की तरह तुम हो जाओगे
अपने आप से प्रकाशमान तुम
अंधकार कहीं ना पाओगे ।
सूर्य जब उदय होता है
ना दिखे है उसे अंधेरा
जब तक प्रकाशमान रहे वो
ढूंढे से भी वो मिले ना ।
अजय सिंगला
