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Ajay Singla

Classics

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Ajay Singla

Classics

अशान्त मन

अशान्त मन

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अशांत मन 


राजा पूछे मंत्री से कि 

कैसे हो शांत मन मेरा 

मंत्री कहे, महाराज अभी एक 

संत ने पास में डाला डेरा ।


कहते हैं बड़ा सिद्ध संत वो 

अशांत मन को शांत कर देता 

झट से अपना काम करे है 

बदले में कुछ भी ना लेता ।


अगले दिन राजा पहुँच गया 

दंडवत कर बोला संत से 

प्रभो! ऐश्वर्य, धन की कमी नहीं 

बस एक शांति ही नहीं मन में ।


महात्मा पूछें, हे राजन क्या 

शांत करना चाहो इस मन को 

दीन वचन से राजा कहे है 

कर दें आप तो बहुत कृपा हो ।


चार बजे सुबह आ जाना 

संत कहे, पर सुनो हे राजन !

पल भर में शांत करूँ परन्तु 

साथ में लाना होगा अशांत मन ।


उसे शांत कर सकता तभी जब 

उस समय वो साथ हो तेरे 

राजा सोचे मैं आऊँगा तो 

साथ तो होगा ही मन मेरे ।


अश्रद्धा मन में हो गई राजा के 

बातें ना समझ में उसके आ रहीं 

सोचे बहकी बहकी बातें करे 

कहीं संत पाखंडी तो नहीं ।


फिर भी पहुँच गया अगले दिन 

लोभ शांति का उसे ले आया 

अशांत मन से दुखी बहुत था 

संत पूछे, मन लाए हो क्या ?


चुपचाप खड़ा रहा राजा 

संत कहे, मन तेरा है जो 

मोची के पास जूते ख़रीद रहा 

झट से उसे मेरे पास ले आओ ।


राजा सोचे कल रात सोया जब 

जूता फटा था और मैं कह रहा 

कल सुबह नए जूते ले लूँ 

शायद मन अब वहीं भटक रहा ।


चरणों में गिर पड़ा संत के 

संत बोले, देखो मन की गति 

मोची अभी आया भी ना होगा 

पर रात से चिंतन जूते का ही ।


अच्छा चलो उसे यहाँ ले आओ 

पूछो इतना अशांत क्यों है 

और फिर उसे मुझे दे देना 

तब शांत कर दूँगा इसे मैं ।


अशांति का कारण ढूंढे तो 

राजा को कुछ भी समझ ना आ रहा 

जैसे जैसे समय बीत रहा 

अशांत मन शांत होता जा रहा ।


राजा कहे, पकड़ में ना आ रहा 

अशांति का कारण भी ना मिले 

संत कहे ये भूल भुल्लैया 

सकल जगत माया से चले ।


आज तुम्हें सूत्र बताऊँ 

जो भी विचार कष्ट दे तुमको 

ढूँढने लग जाना कारण तुम 

पल में स्वयं ही वो खत्म हो ।


अँधेरे से जो डर लगे तो

ढूँढने निकल जाओ तुम उसे 

बस एक दीपक साथ में ले लो 

देखो उसे फिर हर कोने में ।


जहाँ दीपक की रोशनी जा रही 

उस कोने में अंधकार नहीं 

पहले जहाँ था घुप्प अंधेरा 

अस्तित्व भी उसका अब नहीं ।


आत्मा के चक्षुओं से ढूँढो 

अशांति अपने आप चली जाए 

घटनाओं के साक्षी बन जाओ 

वो तुम्हें फिर ना सतायें ।


ये सत्य जो जान गए तो 

सूर्य की तरह तुम हो जाओगे 

अपने आप से प्रकाशमान तुम 

अंधकार कहीं ना पाओगे ।


सूर्य जब उदय होता है 

ना दिखे है उसे अंधेरा 

जब तक प्रकाशमान रहे वो 

ढूंढे से भी वो मिले ना ।


अजय सिंगला


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