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Rohini Tiwari

Drama

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Rohini Tiwari

Drama

राहें

राहें

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राहों से राहें जोड़ती चली गयी,

कदमो की आहट मैं सुनते चली गयी !

मंजिलों को मैं सदा मोड़ते चली गयी,

कुछ कहते चली गयी कुछ सुनते चली गयी !


इन वीरानियों में सदा महफ़िल सजाते चली गयी,

कहते हैं कागज के फूलों से खुशबू नहीं आती,

मैं कागज के फूलों में भी

खुशबुओं को भरती चली गयी !


उन फूलों से महकाऊँ

जहाँ-जहाँ से मैंं बनाऊँ कारवाँ !

उन कारवों से बनाऊँ मैं ऐसी महफ़िल कि

उन महफ़िलों में आये जन्नत की रौनक !


इस जन्नत की रौनक को

सारे जहाँ में फैलाकर,

इस सारे जहाँ को मैं जन्नत बनाऊँ !


सदा सुनती रहूँ अपने मन की आवाज,

उस आवाज को मैं

एक नया आगाज बनाऊँ !


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