प्रेम रस धारा
प्रेम रस धारा
प्रेम ही धारा प्रेम ही न्यारा
निसदिन बरसे प्रेम रस धारा
जीवन पथ पर चलते चलते
प्रेम ही बने सबका आधार
भक्ति मे प्रेम मस्ती मे प्रेम
धरती मे प्रेम प्रकृति मे प्रेम
प्रेम सगुण प्रेम ही निर्गुण
प्रेम ही अवनी की जलधारा
सबरी का प्रेम राम को प्यारा
विदुर का प्रेम कृष्ण को प्यारा
प्रेम ही प्रेम जगत मे सारा
आओ चले प्रेम के पथ पर
वसुंधरा के इस आँगन मे
प्रेम पुष्प महकाये सुरीला
निसदिन भोर अमृत बेला मे
रस बरसे प्रेम की धारा
प्रेम से चारों ओर उजियारा
प्रेम बने इस युग की धारा
प्रेम से महके जीवन सारा
प्रेम रंग मे डूबे जग सारा