ख़्वाब

ख़्वाब

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मेरे मन मे विचारों का सैलाब उमड़ा,

मेरे दिल मे ख्वाबों का सैलाब उमड़ा !!

डरते डरते मैने एक ख़्वाब देखा,

हँसते हँसते मैने एक ख़्वाब देखा!

उन ख्वाबों मे मैने मेरे अपनों को देखा,

उन अपनों के बीच एक पराए को देखा !!

डरते हुए मैने उस पराए को देखा,

हँसते हुए मैने अपनों को देखो !!

उन ख्वाबों मे मैने कुछ अजीब सा देखा,

कुछ अच्छा देखा, कुछ बुरा देखा!

उस अच्छे मे मैने मेरे अपनों को देखा,

उन बुराइयों मे मैने उस पराए को देखा !!

अपनों को मैं पहचान थी गयी,

उस पराए को मैं पहचान ना पाई !!

मेरे मन मे अब एक शंका सी आई,

उस शंका के साथ दुविधा सी आई !!

सोचूं यही वो कौन था ,

जो ख्वाबों मे दिखा हँसता था !

बड़ी कशमकश सी थी, बड़ी चिंतित थी,

अपने ही सवालों मे उलझी थी !!

हँस के मैने अपने आप से पूछा,

ए परछाई बता वो कौन था दूजा !!

अंदर की आवाज़ सुनाई सी दी,

मेरी हलचल की आहट सुनाई सी दी !!

वो पराया भी था कोई अपना मेरा,

वो सुनता था ख्वाबों का फसाना मेरा !!

वो पराया भी था कोई ख़्वाब मेरा,

जिसे दिल से मैने अपना माना,

उन ख्वाबों मे देखा मैने अपना जहाँ,

उन ख्वाबों मे ख़ुशियाँ भरी थी !!

ख़्वाब बन गये मेरे सच्चे साथी,

जिन्हे पूरा कर जीती मेरी शंका हारी !!

मेरे ख़्वाब हैं मेरे सच्चे साथी,

मेरी राहों मे संग संग चलेंगे यही !!


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