चित्रों की कला
चित्रों की कला
चित्रों को तुम बनाते हो मगर,
उन चित्रों को तुम पहचानते नहीं !
उन्हें रंगों से तुम भरते हो मगर,
उन रंगों को तुम समझते नहीं !
कहीं लाल है तो कहीं पीला है रंग,
इनकी चमक तुम जानते नहीं !
इन चित्रों में है हरियाली भरी,
उस हरियाली को तुम देखते नहीं !
तेरे चित्रों में है एक कहानी लिखी,
उस कहानी को तुम कभी पढ़ते नहीं !
तेरे चित्रों में प्यार के रंग हैं भरे,
उन प्यार के लफ्जों को तुम सुनते नहीं !
तेरे चित्रों में है कहीं उदासी छिपी,
उन उदासी को दूर तुम करते नहीं !
तेरे चित्र सवाल तुझसे पूछते हैं मगर,
उन सवालों के जवाब तुम देते नहीं !
ये चित्र है कहीं ना कहीं तेरी ही परछाई,
क्यूँ तूने कर रखी इतनी रुसवाई !
तेरे चित्र है तेरे संगी साथी,
तेरे जीवन में संग-संग चलेंगे यही !
इन्हें देख ज़रा ज़रा दिल से पुकार,
इन्हें जी भर के तू अब करले दुलार !
तेरे चित्रों की रोशनी में ऐसा है दम,
तेरे जीवन के अंधेरे को कर देगी कम !
तू जगा है अभी, तू उठेगा अभी,
अपने जीवन को रोशन करेगा अभी !
अपने चित्रों का संग जो तूने थामा,
ये निभाएँगे तुझसे जीवन भर का नाता !