हमरे गाँव जवारी मा
हमरे गाँव जवारी मा
सारे मिलिकै जश्न मनावति, हैं अपनी बेकारी मा ।
ऐसा झोलमझोल होति है, हमरे गांव जवारी मा ।।
कौवा काँव काँव कै चीखै, हमरे घर की क्यारी मा ।
तब हम यूं जानी की कौनौ, आवै की तैयारी मा ।
हमरे कत्ता ज्योतिष कौनौ, जानै नहीं हजारी मा...
ऐसा झोलमझोल...........।।
पीटि तमाखू टहरू काका, लरिकन का समझावति हैं ।
बीमारी से बचै कि खातिर, नुस्खे लाख बतावति हैं ।
हमहू यू अभियान चलावा, अबकी बार देवारी मा....
ऐसा झोलमझोल................।।
जेठ ससुर घर मा बाहेर से, खाँसति खाँसति आवैं जब ।
एक हाथ का लम्बा घूँघट, डारि बहुरिया आवैं तब ।
रामदीन की उमर बीतिगै, बड़का की दीदारी मा...
ऐसा झोलमझोल..............।।
लोग हिंया मिलिजुलि कै ख्यालति, ब्वालति औ बतियावति हैं ।
हँसी ठहाका कबहू गुस्सा, कबहू र् वाब देखावति हैं ।
संस्कार खुशियन का खाना, मिलति हियाँ की थारी मा....
ऐसा झोलमझोल.................।।
