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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Drama Inspirational Others

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Drama Inspirational Others

हमरे गाँव जवारी मा

हमरे गाँव जवारी मा

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सारे मिलिकै जश्न मनावति, हैं अपनी बेकारी मा ।

ऐसा झोलमझोल होति है, हमरे गांव जवारी मा ।।


कौवा काँव काँव कै चीखै, हमरे घर की क्यारी मा ।

तब हम यूं जानी की कौनौ, आवै की तैयारी मा ।

हमरे कत्ता ज्योतिष कौनौ, जानै नहीं हजारी मा...

ऐसा झोलमझोल...........।।


पीटि तमाखू टहरू काका, लरिकन का समझावति हैं ।

बीमारी से बचै कि खातिर, नुस्खे लाख बतावति हैं ।

हमहू यू अभियान चलावा, अबकी बार देवारी मा....

ऐसा झोलमझोल................।।


जेठ ससुर घर मा बाहेर से, खाँसति खाँसति आवैं जब ।

एक हाथ का लम्बा घूँघट, डारि बहुरिया आवैं तब ।

रामदीन की उमर बीतिगै, बड़का की दीदारी मा...

ऐसा झोलमझोल..............।।


लोग हिंया मिलिजुलि कै ख्यालति, ब्वालति औ बतियावति हैं ।

हँसी ठहाका कबहू गुस्सा, कबहू र् वाब देखावति हैं ।

संस्कार खुशियन का खाना, मिलति हियाँ की थारी मा....

ऐसा झोलमझोल.................।।



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