एक ऐसा भी जमाना आ गया
एक ऐसा भी जमाना आ गया
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रेत को पर्वत बताना आ गया ।
आदमी को मन लुभाना आ गया ।।
सुर्खियों में जो नहीं रहते कभी ;
बस उन्ही को दूर जाना आ गया ।।
लो गए वादों भरे दिन और फिर ;
आँख जनता से चुराना आ गया ।
जिंदगी की दौड़ में दौड़ा किये ;
आज अपना भी ठिकाना आ गया ।
एक ठोकर जब लगी इंसान को ;
तब सम्हलकर दूर जाना आ गया ।
जिंदगी ने बस दिया इतना मुझे ;
दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया ।
आदमी की भूँख मिटती ही नहीं ;
एक ऐसा भी जमाना आ गया ।