STORYMIRROR

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Others

4.5  

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Others

एक ऐसा भी जमाना आ गया

एक ऐसा भी जमाना आ गया

1 min
620


रेत को पर्वत बताना आ गया ।

आदमी को मन लुभाना आ गया ।।


सुर्खियों में जो नहीं रहते कभी ;

बस उन्ही को दूर जाना आ गया ।।


लो गए वादों भरे दिन और फिर ;

आँख जनता से चुराना आ गया ।


जिंदगी की दौड़ में दौड़ा किये ;

आज अपना भी ठिकाना आ गया ।


एक ठोकर जब लगी इंसान को ;

तब सम्हलकर दूर जाना आ गया ।


जिंदगी ने बस दिया इतना मुझे ;

दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया ।


आदमी की भूँख मिटती ही नहीं ;

एक ऐसा भी जमाना आ गया ।



Rate this content
Log in