साँसों का बुनकर है अद्भुत
साँसों का बुनकर है अद्भुत
जो आया है कल जाना है।
जीवन कब नियत ठिकाना है।।
साँसों का बुनकर है अद्भुत
जिसने ये रचा जमाना है।
हर साँस जहाँ पर बृंदाबन
ये प्रेम वहीं मैख़ाना है।
खुद राह बनाकर खुशियों की
औरों को राह दिखाना है।
चंचल नयनों की चंचलता
से कब सम्भव बच पाना है।
यदि नहीं प्रेम के फूल खिले
तो जीवन बस बीराना है।
तेरे मन की यदि सुनता हूँ
मुझको भी तुझे सुनाना है।
आ तुझे गीत में मैं भर लूँ
तू हर धड़कन का बाना है।
जलना है जीवन में ए'क दिन
फिर बाती सा बुझ जाना है।