गीतिका छंद छंदों का गलहार है
गीतिका छंद छंदों का गलहार है
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पुष्प सुरभित सुगन्धित विधा गीतिका ।
लो चली हो व्यवस्थित विधा गीतिका ।।
गीतिका छंद छन्दों का' गलहार है ;
तो है कुण्डल सुमंडित विधा गीतिका ।
मापनी और छंदों का बाना पहन ;
भाव श्रृंगार पूरित विधा गीतिका ।
एक मुखड़े में' दुनिया समेटे हुए ;
पैंग भरती विभूषित विधा गीतिका ।
दूर मनका तलक लोकती सुन्दरी ;
भाव आसन विराजित विधा गीतिका ।