सच्चाई है नहीँँ इन खोखले से व्यर्थ नारों में । सच्चाई है नहीँँ इन खोखले से व्यर्थ नारों में ।
छन्द लय ताल से नित विधा गीतिका । कर रही है प्रफुल्लित विधा गीतिका ।। छन्द लय ताल से नित विधा गीतिका । कर रही है प्रफुल्लित विधा गीतिका ।।
पुष्प सुरभित सुगन्धित विधा गीतिका । लो चली हो व्यवस्थित विधा गीतिका ।। पुष्प सुरभित सुगन्धित विधा गीतिका । लो चली हो व्यवस्थित विधा गीतिका ।।
गुरु ज्ञान बारिश से सभी शंका मिटी। बाँटे सदा वह ज्ञान के मोती खरे॥ गुरु ज्ञान बारिश से सभी शंका मिटी। बाँटे सदा वह ज्ञान के मोती खरे॥
खबर मिली है फलक से तारे जमीं पे आकर जमे हुए हैं। खबर मिली है फलक से तारे जमीं पे आकर जमे हुए हैं।
वृत्यनुप्रास अलंकार के ध्येय से रचित गीतिका। वृत्यनुप्रास अलंकार के ध्येय से रचित गीतिका।