क्या करें इस विकास का, पहले हम ज्यादा सच्चे थे। क्या करें इस विकास का, पहले हम ज्यादा सच्चे थे।
देखो कितना शांत हूं मैं और कितना शांत है ये शमशान। देखो कितना शांत हूं मैं और कितना शांत है ये शमशान।
परियों ने किरणों की फिर अपने सोने से स्निग्ध पंख खोले परियों ने किरणों की फिर अपने सोने से स्निग्ध पंख खोले
स्वार्थ से परमार्थ तक का सफर यूं आसान हुआ। स्वार्थ से परमार्थ तक का सफर यूं आसान हुआ।
चंदा मामा आएगा, खेल खिलौने लाएगा, चंदा मामा आएगा, खेल खिलौने लाएगा,
कैसे बताऊँ क्या खोया, क्या पाया, तुम मुझमे ऐसे बस रही हो, जैसे एक पगले भक्त ने प्रभु को ही सीने ... कैसे बताऊँ क्या खोया, क्या पाया, तुम मुझमे ऐसे बस रही हो, जैसे एक पगले भक्त ने...