पंख पंख
चल रहे सम्बन्ध पर क्यों भुनभुनाएँ ? है यही बेहतर नया रिश्ता बनाएँ। चल रहे सम्बन्ध पर क्यों भुनभुनाएँ ? है यही बेहतर नया रिश्ता बनाएँ।
वादा है कविता का कवि से मैं तुम्हें गिरने नहीं दूँगी। वादा है कविता का कवि से मैं तुम्हें गिरने नहीं दूँगी।
संभलेंगे जब कदम तेरे, ख़ुदको ग़मों के रेगिस्तान में ही पाएगा, उठने की सोचते सोचते...... संभलेंगे जब कदम तेरे, ख़ुदको ग़मों के रेगिस्तान में ही पाएगा, उठने की सोचते सोचते....
गर निकला समय हाथ फिर, तू पछतायेगा मौन पड़ा। गर निकला समय हाथ फिर, तू पछतायेगा मौन पड़ा।
आ भी जाओ अभी मिलने को जान तड़पती है। आ भी जाओ अभी मिलने को जान तड़पती है।