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Srishti Sharma

Inspirational

2.1  

Srishti Sharma

Inspirational

बेख़बर

बेख़बर

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बेख़बर है तू

बेख़बर ही रहेगा

नादान है बच्चे तू

और हमेशा नादान ही रहेगा

पंछी के पंख को काटने की सोच के

धरती पे तू ही गिरता रहेगा

संभलेंगे जब कदम तेरे 

ख़ुदको ग़मों के रेगिस्तान में ही पाएगा

उठने की सोचते सोचते 

उलझनों के समुंदर में ही डूबता जाएगा

जिसे तोड़ने की चाहतों में डुबा था

उसी को पलकों पे बैठा कर

आसमान को छून चाहेगा....

         


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