तिरस्कार
तिरस्कार
मैंने द्रौपदी बनके देखा, सीता बनके देखा।
माँ लक्ष्मी, माँ दुर्गा बनके देखा।
पर मेरा सिर्फ़ तिरस्कार हुआ।
मेरा सिर्फ़ अपमान हुआ।
जिस लक्ष्मी की पूजा कर।
अपने घर तूने खज़ाना भरा।
तूने किसी लक्ष्मी को बाज़ार में बेच।
उसी लक्ष्मी का अपमान किया।
तूने मेरा तिरस्कार किया।
तूने मेरा अपमान किया।
दुर्गा से शक्ति लेके।
उस शक्ति का तूने।
एक दुर्गा पे ही इस्तिमाल किया।
तूने उस दुर्गा का अपमान किया।
तूने मेरा फिर तिरस्कार किया।
मैंने कल्पना बनके देखा।
ऊषा बनके देखा।
तूने मेरे पंखों को।
अपने इरादों से नोंच दिया।
तूने फिर मेरा तिरस्कार किया।
हर बार मेरा अपमान किया।
तूने अपनी भूख मिटाने को।
मेरे बदन का इस्तिमाल किया।
मेरा मुँह बंद करने को।
तेज़ाब से मुझपे निशान दिया।
अपने गुनहा छुपाने को।
ज़िंदा आग में राख किया।
तूने फिर मेरा तिरस्कार किया।
तूने फिर मेरा अपमान किया।
