बेवफाई तुमने की
बेवफाई तुमने की
बेवफाई तुमने की या मैंने की ये रब जानता है।
जो भी हो पर सफर यादों का यूं ही चलता रहा।
तुम भी घायल इश्क में थीं मैं भी घायल था मगर
न तुम रुकीं न मैंने मनाया यूं फासला बढ़ता रहा।
चांदनी सागर किनारे सिर पटक कर रोती रही
तन्हा रहा मैं मौन बैठा लहरों को बस तकता रहा।
गगन तारे मौन ताकते स्तब्ध थी सारी जमीन
व्यथित सागर अपनी लहरों को पटक थमता रहा
मंजिलों की जुस्तजू घायल दिलो में अब भी थी।
पर था फितूर दिमाग का जो उम्र भर पलता रहा।