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P Anurag Puri

Romance

4  

P Anurag Puri

Romance

पर वो तुम तो नही हो !

पर वो तुम तो नही हो !

2 mins
262

ये दिल

आज भी किसी के लिए

जोर जोर से धड़कता है

पर वो तुम तो नहीं हो।


ये आँखे

आज भी किसीके याद में

नाम हो जाती है

पर वो तुम तो नहीं हो।


ये हाथ

आज भी किसी के

हाथ को थामने को

हमेशा बढ़ाये रखता है

पर वो तुम तो नहीं हो।


वो जुल्फे

जिन्हें आज भी मेरे उंगलियां 

सहलाने को तरसते हैं

पर वो तुम तो नहीं हो।


वो खुशबू

तेरे जिस्म की

आज भी मदहोश

करती हैं

पर वो तुम तो नहीं हो।


याद है वो सर्दी के दिन

एक ही बेंच पे

एक ही चद्दर को ओढ़े

तेरे जिस्म मेरे जिस्म को यूँ छूना

तेरे हाथ मेरे हाथों को 

यूँ जकड़ के रखना।


और तेरे दिल की

हर धक् धक को

मेरे कानों से सुन ना

कैसे याद होगा तुम्हें

आखिर वो तुम जो नहीं हो।


याद है वो बारिश का मौसम

एक छतरी के नीचे

और सुनसान सड़क पे

मेरे बाजुओं को पकडडे

अपना सारा डर

मुझपे सबार कर

दुनिया की परवाह न कर

आगे बढ़ते चलते थे।


याद तुम्हे होगा कैसे

आखिर वो तुम जो नहीं हो।

याद है.वो घर से छुपके जाना

एक ही साइकिल पे खुली वादियों में

एक पंछी सा बनकर उड़ना

मेरे साथ

वो सुनहरी गानों को यूँ गन गुनाना।


खुद का आइसक्रीम गिरा कर

मेरे से जबरदस्ती छीन के

यूं लबों से लगाना

नहीं होगा याद तुम्हे

आखिर वो तुम जो नहीं हो।


याद है

वो पार्क में सबके साथ खेलना

पर उसी बिच मेरा साथ

तुम्हें होता है पाना

मेरे लिए तेरा फिक्र करना

और हर छोटी बात पर यूँ झगड़ना

आज भी याद है।


मेरे गलियों से तेरा वो गुजरना

और उस गुजरती हवाओं में

तेरा चोरी चोरी मुझको यूँ ताकना

आज भी मेरी जिंदगी

ढूंढे तेरे रूह को

हर सांस में आज भी तुम्हीं रहती हो।


क्या फायदा इन सब

पुरानी यादों को यूँ समेटना

आखिर वो तुम जो नहीं हो।


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