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P Anurag Puri

Others

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P Anurag Puri

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!! नर्सरी से नौकरी तक !!

!! नर्सरी से नौकरी तक !!

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जहां ज़िन्दगी की कोई परवाह हुआ ही न करती,

आज वंही पग पग में फिक्र होने लगती है,

जहां कभी सोने की इजाज़त भी न लेनी पड़ती,

आज चैन की साँसे भी वक़्त से खरीदना पड़ता है,

ज़िन्दगी भी कभी ज़िन्दगी को न समझ पायी,

आखिर ये दास्ताँ ही कुछ यूं नर्सरी से नौकरी तक की है !!


जहां कभी मास्टरजी के मार से डरते,

आज बॉस ताने वंही चुभती है,

कभी टीचर की आंखे हमाए तनी होती,

तो आजसी सी टी वी से हमपे निगरानी रखी जाती है,

कभी स्कूल के बाद दोस्तों मे मस्ती हुआ करती,

तो आज ऑफिस के बाद सब अपने आप मे ब्यस्त है,

मेहेज ज़िन्दगी की ईस दौड़ मे हम बस भागते रह गए,

आखिर ये दास्ताँ ही कुछ यूं नर्सरी से नौकरी तक की है !!


फर्क तो किताबों में हुई,

रात भर तो अब भी जागते है,

परिस्थितियों मे बस हलचल मची है,

वरना खुदको साबित करने की परीक्षा तो अब भी देते हैं,

बस होस्टल अब रेंट हाउस में तब्दील हो गयी,

वरना घर से दूर तो अब भी रहते हैं,

मोहब्बत तब जहर सी लगती थी,

अब जख्म सी बन तकलीफ देती है,

ज़िन्दगी की राह पे अब तो वजूद भी खो चुके,

आखिर ये दास्ताँ ही कुछ यूं नर्सरी से नौकरी तक की है !!


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