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P Anurag Puri

Romance Fantasy

3  

P Anurag Puri

Romance Fantasy

मधुशाला

मधुशाला

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हर रात के अफसाने में,

चाँद का तुम गुरूर हो,

मदहोशी से ये जग झूम उठे,

उस कल्पना की मधुशाला हो !!


नैनों पे हीरे की चमक हो,

और पंखुड़ियों सी होंठ तुम्हारी खिलती हो,

ये चांदनी का नूर तो यूँ ही बदनाम है,

किसी गुलाब से थोड़ी न तुम कम हो !!


तुम इश्क की तमन्ना भी,

मेरे हर अल्फ़ाज़ की महबूब हो,

तुम प्यार की एक पंछी सी,

जो हर दिल में यूँ बस जाती हो,

तुम खुशबू हो, खुशनुमा भी हो...

हर चेहरे की मुस्कान हो,

तुम ख्वाब हो, ख्वाहिश भी हो,

हर आशिक़ की अधूरी आरज़ू हो,

आखिर मोहब्बत की मदहोशी जो चारों और बिखेर दे,

तुम !! वो नशीली मधुशाला हो !!


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