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P Anurag Puri

Romance

4.9  

P Anurag Puri

Romance

!! पहली मोहब्बत !!

!! पहली मोहब्बत !!

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कुछ खास नहीं बस इतनी सी

मोहब्बत है मेरी

हर रात की आखरी ख्याल और

सुबह की पहली सोच बो थी

किसीका प्यार पा लेना ही

मोहब्बत नहीं होती

कभी उस प्यार में डूब के देखो

पता चले आखिर ये प्यार की भाषा क्या होती...


कैसे भूल जाऊँ उसे में

आखिर...

वो मेरी पहली मोहब्बत जो थी।।


वो छोड़ गए हमें

न जाने उनकी क्या मजबूरी थी

खुदा ने कहा!!

इनमे उनकी कोई कसूर नहीं

ये कहानी तो

मेने लिखी ही अधूरी थी 


अब तू ही बता दे खुदा

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कैसे मिटा दूं उसे इस दिल से में...

आखिर...

वो मेरी पहली मोहब्बत जो थी।।


आगे सफर था... 

पीछे हमसफ़र थी

रुकते तो ज़िन्दगी छूट ती

और चलते तो तुम छूट जाती

आज कुछ बात थी जो

शाम पे रोना आया

बरना हर शाम तो

उमीदो पे गुजरती थी

लाख भुलाया उसे में

फिर भी याद उसकी आती थी

में पानी पी पी के थक जाता

फिर हिचकिया बनके सताती थी...


किस गुस्ताखी से दूर होता उससे

आखिर...

वो मेरी पहली मोहब्बत जो थी।।


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