जब से साथ तुम्हारा पाया
जब से साथ तुम्हारा पाया
जबसे साथ तुम्हारा पाया, मन- वीणा के तार बजे।
जीवन में संगीत घुल गया ,कई नये अरमान जगे।
कितने ही सपनों ने दिल के, आँगन में ली है अंगड़ाई।
ख्वाब सुनहरे पूरे करने को, दिल में गूँजी शहनाई।
चल साथी हम दोनों मिलकर, लोगों के दुख दर्द मिटाऐं।
बेबस, बेघर लोगों को, जीने का कोई हुनर सिखाऐं।
जब मैं हिम्मत लगूँ हारने, तुम मेरी हिम्मत बन जाना।
घर वालों की रोक- टोक में, साथी मेरा साथ निभाना।
नेक काम करने वालों को, अंगारों पर चलना पड़ता।
अपनों के द्वारा ही हरदम, अपमानित भी होना पड़ता।
साथ तुम्हारा होगा, तो अपमान से नहीं घबराऊँगी।
जो भी स्वप्न बुने हैं मैंने, उनको पूरा कर पाऊँगी।
साथ तुम्हारा है साथी, तो हर बाधा से लड़ जाऊँगी।
पथ में आने वाली हर मुश्किल से, टक्कर ले पाऊँगी।