STORYMIRROR

Radha Goel

Romance

4  

Radha Goel

Romance

बरसात

बरसात

1 min
4


बड़ी गर्मी थी मौसम में, अभी बरसात आई है। 

सभी के वास्ते खुशियों की ये सौगात लाई है।


वृद्ध बच्चे जवान सब खुशी से झूम कर नाचे।

मनुज हों या पशु- पक्षी, सभी मदमस्त हो नाचे।


कोहनियों तक लगा मेहंदी सजनी इठलाती फिरती है

न जाने किस पुलक में, मन ही मन में विहंसती है।


करके सोलह शृंगार, खुद को दर्पण में निरखती है।

देहरी पर खड़े होकर, सजन की बाट तकती है।


जहाँ भी हो मेरे साजन, जल्दी से घर चले आओ।

बड़ा मदमस्त मौसम है, और ना हमको तड़पाओ।




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance