कैसे मनाऊँ रुठ गया सजन जो नदिया पार। कैसे मनाऊँ रुठ गया सजन जो नदिया पार।
यही मेरी बस प्यास है ! यही मेरी बस प्यास है !
फिर ना देखा उसने, कभी भी दर्पण। फिर ना देखा उसने, कभी भी दर्पण।
तेरी एक नजर तीर से घायल, यहां लाखों हैं , तू मोहब्बत है कितनों की, तेरे चाहनेवाले लाखो हैं , कभी तू... तेरी एक नजर तीर से घायल, यहां लाखों हैं , तू मोहब्बत है कितनों की, तेरे चाहनेवा...
बेवक्त आँखों में झलक तो जाते हो, बेवक्त आँखों में झलक तो जाते हो,
कहीं कुछ गहराई पाए कहीं कोई दिल से ना भाये कहीं कुछ गहराई पाए कहीं कोई दिल से ना भाये