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नारी- एक प्रेरणा

नारी- एक प्रेरणा

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अपने कुछ अल्फाजों से आज तेरे बारे में कहना है

गहनों से सजी है तू या तू खुद एक गहना है

तू नहीं है पत्थर की मूरत, तेरे अंदर भी सीना है

देखती है तू क्यूं दर्पण नारी? तू खुद आईना है

सारी सृष्टी तुझमे समायी, तुझपर मैंने लिखा है

हाथों में चूड़ियों की खनक, माँग मे सिंदूर का टीका है

मीठी मधुर-सी तेरी वाणी, मुखमंडल पर आभा है

तेरे आगे जहन्नुम भी जन्नत हैं, स्वर्ग भी फिका है

तेरी एक नज़र तीर से घायल, यहां लाखों हैं

तू मोहब्बत है कितनों की, तेरे चाहनेवाले लाखों हैं

कभी तू माँ, कभी पत्नी, कभी बहना, कभी बेटी है

नारी तू तो है एक ही, मगर तेरे रूप लाखों हैं

हम सब तो हैं तेरे बच्चे, तेरी कहानी के हिस्से हैं

झाँसी की रानी है तू, तेरी वीरता के मशहूर किस्से हैं

तू दुर्गा, तू लक्ष्मी, तू सरस्वती, तू ही तो महाकाली है

जिस घर में तेरा अस्तित्व है, वहाँ तो रोज जलसे हैं

कदम तेरे छु लू तो, छु लू ये सारा आसमान

भाग दौड़ भरी जिंदगी में, तेरी मुठ्ठी में है जहान

तू सच्चाई की प्रेरणा, पूरी हो तेरी हर मनोकामना

नारी तेरी प्रतिभा दिव्य हैं, जग में तू है सबसे महान


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