शस्त्र उठाना होगा
शस्त्र उठाना होगा
आज कहीं पर नहीं सुरक्षित, नारी का सम्मान।
कदम- कदम पर घात लगाए, बैठे हैं शैतान।
कुत्तों जैसी जीभ लपलपा, नारी देह की गंध सूँघते।
कभी कहीं दिख जाए नारी,सारे मिलकर उसे नोचते।
कुत्ता भी शरमाता होगा, देख के इनके कर्म
भूल गया है मानव अपना मानवता का धर्म।
आज हवस का बना पुजारी, शैतानी इन्सान।
साधु भी अब नहीं साधु, खुद को कहता भगवान।
साधु वेश में भी अब तो छिपकर बैठा शैतान।
ऐसे पापाचारी को कैसे कह दें इन्सान?
अपनी रक्षाहित नारी को शस्त्र उठाना होगा।
शास्त्र ज्ञान के साथ -साथ, शस्त्राग्रही बनना होगा।
काली बनकर उसको दुष्टदलन अब करना होगा।
जिस पौरुष पर गर्व पुरुष को, अंग काटना होगा।
दुराचारियों को सब मिलकर ऐसा सबक सिखाएं।
हश्र सोचकर दुष्ट नराधम, भयाक्रान्त हो जाए।
-
